Description
म. म. मुकुंद झा ‘बख्शी’ (1869-1937):
म. म. मुकुंद झा ‘बख्शी’ का जन्म 1869 ई. में वर्तमान मधुबनी जिले के हरिपुर गांव में हुआ था. श्री बख्शी संस्कृत, मैथिली, हिंदी और फारसी भाषा के जानकार थे. मुगल बादशाह अहमद शाह ने काबुल युद्ध में विजयी होने पर तिरहुत की सेना के सेनापति उमानाथ झा को बख्शी उपाधि प्रदान की थी, जिसे वंशानुगत रूप से उनके वंशजों ने पाया है. म. म. मुकुंद झा ‘बख्शी’ ने बरेली, ग्वालियर, मुरादाबाद, मथुरा और दरभंगा आदि शहरों के विभिन्न संस्थानों में व्याकरण-दर्शन और कर्मकांड पढ़ाने का काम किया. 1911 से 1918 तक म. म. मुकुंद झा ‘बख्शी’ मिथिला की महारानी लक्ष्मीवती के दानाध्यक्ष के पद पर रहे. 1926 से 1929 तक ये धर्म समाज संस्कृत महाविद्यालय के प्रधानाचार्य पद पर रहे. खंडवला राजवंश: मिथिलाभाषामय इतिहास समेत श्री बख्शी ने कई पुस्तकों का लेखन और संपादन किया है.
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डॉ. पं. शशिनाथ झा:
डॉ. पं. शशिनाथ झा का जन्म 1954 ई. में वर्तमान मधुबनी जिले के दीप गांव में हुआ था. व्याकरण, विद्यावारिधि, विद्यावाचस्पति और पांडूलिपि विशेषज्ञ डॉ झा संस्कृत, मैथिली और हिंदी भाषा के सौ से अधिक पुस्तकों का लेखन और संपादन कर चुके हैं. साहित्य अकादमी से भाषा सम्मान प्राप्त कर चुके डॉ. झा संप्रति कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति हैं. इससे पूर्व डॉ. झा इसी संस्थान में व्याकरण विभागाध्यक्ष के पद पर कार्यरत थे.
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