विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस हर वर्ष 10 अक्तूबर को दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में जागरूक और शिक्षित करने के लिये मनाया जाता है।
पहली बार विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 10 अक्तूबर, 1992 को मनाया गया था।
इस दिवस की शुरुआत तत्कालीन उप महासचिव रिचर्ड हंटर ने वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ की वार्षिक गतिविधि के रूप में की थी।
वर्ष 2022 की थीम:
वैश्विक स्तर पर सभी के लिये मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता बनाना।
मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिये भारत द्वारा उठाए गए कदम:
राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम:
मानसिक विकारों के भारी दबाव और मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में योग्य पेशेवरों की कमी को दूर करने के लिये सरकार वर्ष 1982 से राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP) चला रही है।
यह प्रारंभिक स्क्रीनिंग, प्राथमिक चिकित्सा, मनोवैज्ञानिक सहायता, संकट प्रबंधन, सकारात्मक व्यवहार को बढ़ावा देने आदि के उद्देश्य से मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास सेवाएँ प्रदान करता है।
मनोदर्पण:
मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) (अब शिक्षा मंत्रालय) ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत इसे लॉन्च किया। इसका उद्देश्य छात्रों, परिवार के सदस्यों और शिक्षकों को कोविड-19 के समय में उनके मानसिक स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिये मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करना है।
वर्ष 2021 में भारत सरकार ने विभिन्न आयु समूहों में मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिये मानसिक स्वास्थ्य और सामान्य स्थिति वृद्धि प्रणाली (मानस) मोबाइल एप लॉन्च किया।
आगे की राह
भारत में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति सरकार द्वारा सक्रिय नीतिगत हस्तक्षेप और संसाधन आवंटन की मांग करती है। मानसिक स्वास्थ्य के प्रति कलंक को कम करने के लिये हमें समुदाय/समाज को प्रशिक्षित और संवेदनशील बनाने के उपायों की आवश्यकता है।
भारत को मानसिक स्वास्थ्य एवं इसके संबद्ध मुद्दों के बारे में शिक्षित करने और जागरूकता पैदा करने के लिये निरंतर वित्त की आवश्यकता है।
स्वच्छ मनसिकता जैसे अभियानों के माध्यम से लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानने के लिये प्रेरित करना समय की मांग है।